Tuesday, February 9, 2010

आखिर कब बदलेगी ये भद्दी सोच ?




सुनील कटारिया
पटिआला



दिन शनिवार , तारीख 6 फरवरी रात के 8 बजकर 45 मिनट , जगह राजपुरा रोड , पटिआला और मंज़िल पंजाबी यूनीवर्सिटी ! दूरदर्शन जालंधर पर एक वर्कशाप में हिस्सा लेने के बाद मैं रात 8 : 30 पर बस स्टैंड पटिआला पहुँचते ही पंजाबी यूनीवर्सिटी के लिए ऑटो में बैठा ! बसों के किरायों में बढोतरी के कारण ऑटो वाले सरदार जी सभी सवारियों को बैठने से पहले कह रहे थे कि 7 रूपये लगेंगे ! खैर सब बैठ गए !

दो लड़के 23 - 24 साल के भी उसी ऑटो में बैठे हुए थे जो शराब पी कर पूरे टल्ली हुए पड़े थे और ऑटो वाले से कह रहे थे कि “असीं तां 5 रपिये ही दवांगे ” ! खैर सरदार जी समय कि नज़ाकत को समझते हुए कहने लगे “जीवे तुहाडी मर्ज़ी जनाब ” ! अब बस स्टैंड से ऑटो चलते ही हम कुछ ही समय में पहुँच गए अर्बन इस्टेट के पास जहां दोनों शराबी लड़के उतर गए ! ऑटो चलते ही मेरे सामने बैठे एक शख्स का मोबाइल बजता है और वो ट्रैफिक के शोर के कारण मोबाइल का लाऊडस्पीकर ऑन कर अपने किसी साथी से बात करते हुए कहने लगा “लडकियां मस्त होनी चाहिए बाकी सब ठीक है ’’ दूसरी तरफ से जवाब आता है "टेंशन मत लो यार आज तक क्या तुम्हे कभी गलत माल दिया है" ! मुझे समझ में आ चुका था कि वो शख्स किसी आर्केस्ट्रा पार्टी से सम्बन्ध रखता है, जो विवाह शादियों में नाच गाने के लिए बुकिंग करती है !

इसके बाद उसे एक और कॉल आई और वो फिर मोबाइल का लाऊडस्पीकर चालू कर कहने लगा “भाजी आपका काम हो जाएगा मैंने बात कर ली है लडकियां मस्त मिलेंगी आपको , हमारी पार्टी पटिआला जिले कि सबसे मशहूर पार्टी है ”! दूसरी तरफ से जवाब आता है कि "वो तो ठीक है पर यार अगर साथ में जुगाड़ भी मिल जाए तो सोने पे सुहागा हो जाएगा" ! आर्केस्ट्रा पार्टी से जुड़ा शख्स कहने लगा "नहीं नहीं हम ऐसा काम नहीं करते" दूसरी और से आवाज़ आती है "पांच हज़ार ज्यादा ले लेना मगर जुगाड़ का इंतजाम ज़रूर कर दो" ! पार्टी का बंदा कहने लगा "हम ऐसा काम नहीं करते हम सिर्फ नाच गाने और मनोरंजन तक सीमित है" ! खैर बुकिंग करवाने वाला ग्राहक ना माना और कहने लगा हम कोई और पार्टी से बुकिंग करवा लेंगे !

अब इस सारे वाक्या से पता लगता है कि कुछ लोग आर्केस्ट्रा पार्टी से जुडी लड़कियों को सिर्फ और सिर्फ गलत नज़र से ही देखते है और उन्हें सिर्फ एक जुगाड़ समझा जाता है लेकिन वो लोग ये नहीं जानते कि इस धंधे से जुडी लड़कियों को परिवार कि कई मजबूरियों के कारण इस धंधे को अपनाना पड़ता है ! ऐसे लोगों कि सोच ना जाने कब बदलेगी ? खुदा खैर करे !

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